Raksha Bandhan 2024: Rakhi / Raksha Bandhan ki timing Kya Hai? Rakhi Bandhane ka Shubh Muharat.

Raksha bandhan 2024: Rakhi / Raksha Bandhan की timing क्या है?राखी बांधने का शुभ मुहूर्त।

Raksha bandhan 2024 की शुरुआत 19 अगस्‍त सुबह 3 बजकर 44 म‍िनट पर होगी और देर रात 11 बजकर 55 म‍िनट पर समाप्‍त होगा. इस साल राखी बांधने का सुबह का कोई मुहूर्त नहीं है. क्‍योंकि भद्रा काल लगा है. सुबह 5 बजकर 53 म‍िनट पर भद्रकाल शुरू होगा और दोपहर 1 बजकर 32 म‍िनट पर समाप्‍त होगा।“19 अगस्त को रक्षाबंधन का मुहूर्त दोपहर 1:30 बजे से रात 9:08 बजे तक है।”  इस दिन भाइयों को राखी बांधने के लिए 7 घंटे 38 मिनट का समय मिलेगा।

Raksha bandhan 2024 के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं। शोभन योग पूरे दिन रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:53 बजे से 8:10 बजे तक है, और इसी समय रवि योग भी है जो सुबह 05:53 am से 08:10 am तक रहेगा।

राखी बांधने की विधि : Rakhi kaise bandhe

Raksha Bandhan के शुभ दिन पर राखी बांधने से पहले एक थाली सजा लें। सबसे पहले थाली में रोली और चावल रखें और दिया भी जला ले। इसके बाद राखी और मिठाई भी थाली में रख लें।अब सबसे पहले भाई को तिलक लगाएं और फिर उसके दाहिने हाथ में राखी बांधें। राखी बांधते समय तीन गांठ लगाएं। मान्यता है कि राखी की इन तीन गांठों का संबंध ब्रह्मा, विष्णु और महेश से होता है। फिर भाई को मिठाई खिलाएं और उसकी आरती उतारते हुए, उसकी लंबी उम्र, सुखी जीवन और उन्नति की कामना करें।

रहे सावधान क्योंकि Raksha bandhan 2024 के साथ लग रहा है भद्रा और पंचक भी। 

पंचांग के अनुसार, इस साल Raksha Bandhan सावन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त, सोमवार को सुबह 3:04 बजे शुरू होगी और उसी दिन रात 11:55 बजे समाप्त होगी। इस आधार पर रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा।

इस साल Raksha Bandhan के दिन भद्रा का समय भी रहेगा। भद्रा सुबह 5:53 बजे शुरू होगी और दोपहर 1:32 बजे तक रहेगी। इस भद्रा का स्थान पाताल लोक में है। कई विद्वानों का मानना है कि अगर भद्रा का वास पाताल या स्वर्ग लोक में हो, तो यह पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए अशुभ नहीं होती, बल्कि शुभ मानी जाती है। हालांकि, कुछ लोग पाताल की भद्रा को कुछ शुभ कार्यों में नजरअंदाज नहीं करते हैं।

Raksha Bandhan के दिन शाम को पंचक भी लगेगा। पंचक शाम 7 बजे शुरू होगा और अगले दिन सुबह 5:53 बजे तक रहेगा। पंचक सोमवार को लगेगा, जिसे राज पंचक कहते हैं और इसे अशुभ नहीं माना जाता, बल्कि शुभ माना जाता है।

भद्रा  होता क्या है? What is Bhadra?

किसी भी शुभ कार्य में भद्रा योग का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि भद्रा काल में मंगल या उत्सव की शुरुआत या समाप्ति को अशुभ माना जाता है। इसलिए, भद्रा काल को अशुभ मानते हुए कोई भी आस्थावान व्यक्ति शुभ कार्य नहीं करता। अब जानते हैं कि भद्रा क्या होती है और इसे क्यों अशुभ माना जाता है?

पुराणों के अनुसार, भद्रा भगवान सूर्यदेव की पुत्री और राजा शनि की बहन हैं। शनि की तरह ही उनका स्वभाव भी कठोर बताया गया है। उनके इस स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया। भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्यों, यात्रा, और उत्पादन जैसे कार्यों को वर्जित माना गया, लेकिन भद्रा काल में तंत्र कार्य, अदालती मामलों और राजनीतिक चुनाव कार्यों को सुफल देने वाला माना गया है।

भद्रा का महत्व :importance of Bhadra

हिंदू पंचांग के 5 मुख्य अंग होते हैं: तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इनमें करण का विशेष महत्व है। करण तिथि का आधा भाग होता है और इसकी संख्या 11 होती है। ये 11 करण चर (गतिशील) और अचर (स्थिर) में बांटे गए हैं। चर करण में बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज और विष्टि शामिल हैं। अचर करण में शकुनि, चतुष्पद, नाग और किंस्तुघ्न होते हैं। 7वें करण विष्टि को ही भद्रा कहा जाता है, जो हमेशा गतिशील रहती है। पंचांग शुद्धि में भद्रा का विशेष महत्व होता है।

‘भद्रा’ का अर्थ ‘कल्याण करने वाली’ होता है, लेकिन इसके विपरीत, भद्रा या विष्टि करण में शुभ कार्यों को निषेध माना गया है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, भद्रा तीनों लोकों में अलग-अलग राशियों के अनुसार घूमती है। जब यह मृत्युलोक में होती है, तो इसे सभी शुभ कार्यों में बाधा डालने वाली या उनका नाश करने वाली माना गया है।जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में होता है और भद्रा विष्टि करण का योग बनता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है। इस समय शुभ कार्यों को करना वर्जित माना गया है। इसके दोष से बचने के लिए धर्मग्रंथों में भद्रा व्रत का उल्लेख किया गया है।

क्या Raksha Bandhan के दिन सोमवार का व्रत किया जाएगा?

सावन का पवित्र महीना चल रहा है और भोलेनाथ के भक्तों के लिए इस महीने का विशेष महत्व है। सावन के महीने में कुंवारी कन्याएं और महिलाएं शिवजी की आराधना कर अपने सुहाग के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं। श्रावण में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है।

इस साल सावन का यह पावन महीना 22 जुलाई से शुरू हुआ था। श्रावण मास का अंतिम सोमवार 19 अगस्त को पड़ेगा। इस बार सावन में 4 नहीं, बल्कि 5 सोमवार होंगे। 19 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार भी है। ऐसे में कई लोगों को यह भ्रम है कि क्या 19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन भी सोमवार का व्रत रखना होगा या नहीं? आइए, इस बारे में जानते हैं

Raksha Bandhan रक्षाबंधन: इस बार हो रहा है दुर्लभ संयोग

सावन महीने की समाप्ति श्रावण पूर्णिमा के दिन होती है। इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन संस्कृत दिवस, नारली पूर्णिमा और गायत्री जयंती का त्योहार भी पड़ेगा। इस बार यह दुर्लभ संयोग है कि सावन महीने का प्रारंभ भी सोमवार के दिन रहा था और अंत भी सोमवार के दिन हो रहा है, और इसी दिन सावन का पांचवा सोमवार भी है। सावन के सोमवार का अंतिम व्रत 19 तारीख यानी पूर्णिमा के दिन रखा जाएगा। यानी रक्षाबंधन के दिन भी सावन का सोमवार का व्रत रखना होगा। अगर आप सावन के सभी सोमवार का व्रत रखने का संकल्प लिए हो तो इस दिन भी आपको सोमवार का व्रत करना चाहिए।

सोमारी या सोमवार का व्रत क्यों किया जाता है?

सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती के संबंध से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने इसी महीने में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठिन व्रत किया था। ऐसा माना जाता है कि इसी कारण सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस पूरे महीने शिव भक्त भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान भगवान शिव अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं।

 

 

 

 

 

Disclaimer/अस्वीकरण :-यह लेख लोक/सामाजिक एवं धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। यहां प्रस्तुत की गई जानकारी और तथ्यों की सटीकता या प्रमाणिकता के लिए thecrowpost.com जिम्मेदार नहीं है।”

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